Hindi Stories
Youth Stories
1. सच्ची शांति कहाँ है? - https://youtu.be/gfWc7H5kb8I
2. एक आदर्श गुरू कैसा होना चाहिये - https://youtu.be/D0kjN7e-mNM
3. आप कैसे दिखते हैं, इससे अपना आंकलन न करे - https://youtu.be/48EvlsABnMg
4. अपने भावों का कर्त्ता मैं खुद हूँ - https://youtu.be/Z9OnWdJeB4Q
5. नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर - https://youtu.be/MnfFOCMXL20
6. बुरी परिस्थिति में क्या करें? - https://youtu.be/H-QcViaSeC0
7. टीमवर्क - https://youtu.be/3ShfZ03kbnI
अन्य कहानियाँ
36. अंजन चोर की कहानी - https://youtu.be/Lt5F8zWXXUk
37. सुंदर हाथ - https://youtu.be/Wa95sAeV27I
38. राजा श्रेणिक और मेंढक की कहानी - https://youtu.be/3LtlekkW23g
39. उद्दायन राजा और उनकी गुरु भक्ति - https://youtu.be/QGoJ5-MmrGI
40. मैना सुन्दरी - https://youtu.be/8_UtjAqbsiQ
41. सूअर और बाघ की कहानी - https://youtu.be/JB3grnFeUss
42. आचार्य कुन्दकुन्द की कहानी - https://youtu.be/PInV1IE6F5U
Lobh
Shalibhadra
Nirgranth Ka Marg - Based on Bhadrabahu ka Charitra - Part 1
Nirgranth Ka Marg - Based on Bhadrabahu ka Charitra - Part 2
Nirgranth Ka Marg - Based on Bhadrabahu ka Charitra - Part 3
Ahankar Se Dur Rahe
एक मूर्तिकार सजीव मूर्तियां बनाने में सिद्धहस्त था। उसकी बनाई मूर्तियों को देखकर ऎसा लगता था कि वे अब तुरन्त ही बोल पड़ेंगी। इतना बड़ा शिल्पकार होने के बावजूद उसमें एक दोष्ा यह था कि वह अहंकारी था। अपनी कला पर उसे बहुत घमण्ड था।
जब उसका आखिरी समय आने लगा, तो उसने सोचा कि यमदूत को तो आना ही है। उसने यमदूतों को भ्रमित करने के लिए अपनी जैसी दस मूर्तियां बना डालीं। अन्तिम समय में उन मूर्तियों के बीच जाकर बैठ गया।
यमदूत आए। एक जैसे इतने आदमी को देखकर वह भ्रमित हो गए कि किसको ले जाना है। सही आदमी को न ले जाकर गलत आदमी को ले जाते हैं तो विघि का विधान टूटेगा और मूर्तियों को तोड़ने की उन्हें आज्ञा नहीं मिली हुई थी। अचानक एक यमदूत को उसके एक बड़े दुर्गुण 'अहंकार' की याद आ गई। वह जानता था कि 'अहंकार' पर पड़ी चोट को इंसान बर्दाश्त नहीं कर सकता।
उसने कहा, 'काश, इन मूर्तियों को बनाने वाला मुझे मिलता तो उसे बताता कि एक गलती कहां रह गई है। एक छोटी-सी चूक मूर्तिकार की मेहनत पर पानी फेर रही है। इतना सुनना था कि मूर्तिकार का अहं जाग उठा। वह तुरन्त बोल उठा, 'कैसी त्रुटि। कहां रह गई गलती।' उसके मुंह से इतना ही निकलना था कि यमदूत ने उसकी चोटी पकड़ ली। और बोला, यही है त्रुटि। तुम अपने अहं पर काबू नहीं रख पाए। तुम्हें मालूम होना चाहिए था कि बेजान मूर्तियां बोला नहीं करती।